आप जहां से आए हो वो सार लोक है। उसे ही संतों ने सत्तलोक, सच खंड, पूर्ण ब्रह्मस्थान और मूल लोक कहा। उस अनोखे धाम में अपार आनन्द है। वहाँ शब्दों की दो धार है। एक सीधे ऊपर की ओर खिंचती हुई और एक धार विस्तार लेती हुई। सचखण्ड में कहीं लंबी लम्बी ऊपर की ओर उठती हुई तो कहीं बड़े गुम्बदनुमा आकाश जैसी रचनायें हैं। उसमें अनंतों खंड हैं। हर खंड अदभुत है।

-परम पूज्य सदगुरुश्री..


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