ईश्वर का धाम बड़ा अलबेला है। वह सूक्ष्म जगत है। शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध और अंतःकरण सहित नौ तत्वों का ये संसार बेहद अदभुत है। वहाँ घनघोर सुरीली गूंजती हुई अनहद ध्वनियाँ जैसे खैरमकदम कर रही हों।
उस निनाद का प्रथम उदगम, पहला परिचय नौबतखाना है। यही सहसदल नाका है। यह नाका स्वयं में किसी लोक से कम नही…
