ईश्वर ने अण्ड और पिण्ड यानी लिंग और स्थूल जगत रचकर उनके लिए आहार रचा।इंद्रियाँ और ऐंद्रिक सुख दुःख बनाए। साथ ही अच्छे-बुरे कर्म और उसके भोग निर्मित किए। और कर्मों का विधान बना कर सुरतों को बांध दिया।
बेचारी सुरतें अच्छे-बुरे कर्मों में फँस गयीं। और मन व इंद्रियों के लिए दिन रात उलझ गयीं।
और राधाएँ…
