कृष्ण तुम्हारे अंतर में विराजते हैं और कृष्ण का राजपाट व उनकी सेना बाहर।
जब तुम अंतर में पुकारते हो तो तुम सदगुरु और प्रभु को प्राप्त कर लेते हो। और जब तुम बाहर से गुहार लगाते हो, शोर मचाते हो, तो उनके वैभव के पिपासु नज़र आते हो। अब तुम्हें कृष्ण चाहिए या कृष्ण की सेना निर्णय तुम्हें करना है।
-सदगुरुश्री