जब सदगुरु से लौ लग जाती है और नाम से डोर जुड़ जाती है तो राधा के स्वामी का अक्स किसी सुरक्षा कवच की तरह आत्मा के साथ-साथ चलता है। तब ऊपर के कोई धनी गुरुमुखी सुरत (आत्मा) को रोक नहीं सकते। वो उस गुरुमुखी सुरत (रूह) को प्रणाम करते हैं और चढ़ाई में यथासंभव पूरी सहायता करते हैं।
-परम पूज्य सदगुरुश्री
