जयगुरुदेव।

एक बार पुनः आप सब से सुर्वे परिवार व साहेब से जुड़ी कुछ घटनाओं को साझा करना चाहतीं हूँ, जिनके बारे में सोच कर ही भावुक हो उठती हूँ। अहसास होता है कि किस तरह मालिक पर्दे के पीछे छिप कर भी साहेब के रूप में हम सब के साथ है।
सुनील सुर्वे जी व नीता भाभी जी के जीवन से जुड़ी एक अहम घटना, जिसमें साहेब ने स्वयं भोग कर उनके कष्टों को हर लिया।
एक बार की बात है, दोनों पति-पत्नी सुबह गुरुधाम पहुँच गए।चेहरे पर चिंताओं का सैलाब उमड़ रहा था।साहेब उस वक़्त भजन पर बैठे थे।कुछ देर बाद जब साहेब अपनी अंतर्यात्रा से बाहर आये तो दोनों के चेहरे देखा। मानो सब जान गए।फिर गंभीर हो गए। जैसे मन ही मन कोई संकल्प ले लिया हो कि कुछ न होने दूँगा।
जी हां इस बार मामला श्रीमती नीता सुर्वे जी के पिताजी का था।जिन्हें डॉक्टर्स ने कैंसर होने की पूरी संभावना बतायी थी। साहेब तो सब कुछ पल भर में जान चुके थे लेकिन संसार को दिखाने के लिए पूरा वृतांत सुना और अश्वासन दिया कि कोई बात नहीं। देख लूँगा।शाम तक पता चला कि साहेब को तेज़ बुखार है जो अकारण ही न जाने कहाँ से आ गया।दवाओं के असर से बुखार कभी थोड़ा उतर जाता पर फिर इतना बढ़ जाता था कि थर्मामीटर से भी समझ न आ रहा था आखिर पारा कहाँ तक जायेगा।अगले दिन मुंबई के पास ही ठाणे में सत्संग था।लेकिन इतनी तेज़ बुखार देख गुरु माँ भी घबरा गयीं। बोलीं, शायद ठाणे का सत्संग कैंसल करना पड़ेगा। साहेब तुरंत बोले सत्संग क्यों रुकेगा? विश्वास नहीं है क्या?
अगले दिन साहेब बुखार में भी सत्संग के लिए ठाणे गए।ऐसी विषम स्थिति में भी सुर्वे जी साहेब के साथ ठाणे जाने को तैयार थे।पर साहेब ने उन्हें उनके ससुर जी के पास डॉक्टर के पास जाने का आदेश दे दिया।सत्संग देते-देते साहेब का बुखार भी जवाब दे गया ओर डर के कहीं दूर जा छिप गया।पर शाम तलक फिर वह अपना ठिकाना समझ वापस आ गया।क्योकि खेल तो अभी बाकी था।खेल कुछ यूं हुआ कि इधर साहेब बुखार का बहाना बना के नीता जी के पिता जी के कष्टों को अपने ऊपर ले रहे थे, और उधर पिता जी की कैंसर की रिपोर्ट ही नेगेटिव आ गयी।हर कोई रिपोर्ट को देख कर एक ओर खुशी से फूले नहीं समा रहा था बहीं दूसरी ओर हैरान था इस बात पर कि ये कैसे संभव हुआ।पर इस प्रश्न का जवाब तो अंदर ही अंदर डॉक्टर्स को छोड़ के सबके पास था।हर कोई उस परम शक्ति की लीला को समझ रहा था।और मुख नहीं अपितु आँसुओ से धन्यवाद दे रहा था।रिपोर्ट्स आने के बाद साहेब भी ठीक हो चुके थे। सच ही तो है,हम लोग साहेब से प्रेम करते है इसका बखान कभी आँसुओ से , कभी सेवा से किसी न किसी तरह कर ही देते है पर साहेब भी हमे बेहद प्रेम करते है इसका बखान इसी तरह अपनी कृपा बरसा कर करते हैं।

सुर्वे जी के जीवन मे जुड़ी एक और घटना के साथ फिर बात होगी।तब तक आप लोग भी ज़रा इंतज़ार करें।साहेब से जुड़े इतने बड़े प्रेमी की बातें व घटनाएं यूं ही न थमेंगी।अभी तो बहुत कुछ बाकी है। इंतज़ार कीजिए।

जयगुरुदेव।



  • Jay Gurudev
  • Jay gru dev
  • Radhasoami
  • Jai Gurudev!!
  • जय सदगुरुश्री भगवान
    आपको कोटि कोटि प्रणाम।
    🙏🏻🌸

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