जयगुरुदेव।

मुझे पता है कि आप बहुत कष्ट में हो। पर दर्द के ये काँटे आपके दामन कैसे उगे, उदासी की ये बेलें, ये लतायें आपके जीवन में कहाँ से प्रकट हुईं। या किसी और की बगिया में आनन्द के पुष्प कैसे पल्लवित हुए? कभी सोचा है आपनें?
हमारे आप के दुःख और सुख किसी और के द्वारा नहीं, हमारे और आपके द्वारा ही रचे, बुने और गढ़े गये हैं। उनके रचनाकार हम सब ही हैं। सच में बहुत बड़े कलाकार हैं हम सब। हम सब कर्म करते वक़्त मुँह मोड़ लेते हैं। आप अक्सर नकारात्मक कर्म करते हुए यही तो सोचते हैं न कि कल को किसने देखा है। कर्मों के प्रति यही लापरवाही अब भारी पड़ रही है। तुम क्या समझते हो कि क्या तुम कर्म भोग से बच जाओगे। या क्या तुम्हारे उलटे करम किसी सीधे फल की बुनियाद रखेंगे? ग़ौर से सोचना। आप सब के ज़ेहन में ज़रूर ये सवाल आता होगा कि आख़िर हम पिछले अनजाने कर्मों के फलों से कैसे मुक्त हो, तो ध्यान रखना की किसी भी नए कर्मों से आपको पुराने कर्मों से छुटकारा हरगिज़ नहीं मिलेगा। वो तो भोगना ही पड़ेगा। वो भी लाखों गुना ज़्यादा। बचने का सिर्फ़ एक ही उपाय है, भोग लेना। और गुरु कृपा। बग़ैर भोगे बचने का कोई मार्ग है ही नहीं। हाँ, आप नये शुभ कर्मों से उन अप्रिय या नकारात्मक भोगों को भोगने की शक्ति और क्षमता अवश्य प्राप्त कर सकते हैं, और गुरु कृपा आपके तलवार जैसे कठिन भोगों को सुई जितनी बारीक बना सकती है। या आपको उन्हें सहने की शक्ति प्रदान कर सकती है।
प्रणाम।
जयगुरुदेव।

परम पूज्य सदगुरुश्री के अमेरिका सत्संग का एक अंश।



  • Jai GuruDev 🙏🏻💕🌺
  • Jaigurudev
  • Jai Saddguru Shri Prabhu 🙏🏻💕🌺
  • Jai guru Dev
  • जय सदगुरुश्री भगवान।
    🙏🏻🌹❤️🌹🙏🏻

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