जयगुरुदेव भइया। चरणस्पर्श 🙏।
एक गुरुभाई का रिश्ता क्या होता है। शायद अब मुझे कुछ कुछ समझ आया है। इस रिश्ते में कितना प्रेम कितनी गहनता होती है, कितनी ज़िम्मेदारी होती है शायद इसीलिए इसे गुरु परिवार कहते हैं। और देखा जाये तो यही सच्चा परिवार होता है। पर सच्चापन तभी संभव है जब दोनों अपने मालिक को ही पिता समझें।
मैं आपको नहीं जानता था। जितेश भैया ने पहली बार आपके बारे में बताया । पर जितना भी आपके बारे में जानता गया मालिक के उतना ही समीप सा पहुँचता गया।
और ऐसा क्यों न हो जब आप पर मालिक की हमेशा से इतनी दया रही हो आपका पूरा जीवन तो मालिक के प्रत्यक्ष सानिध्य में गुज़रा है आपका क्या आपकी पिछली पीढ़ियों का भी जीवन मालिक के सानिध्य में गुज़रा है और बहुत ही विशेष गुजरा है। मालिक कहते हैं जिसको नाम दान मिला ये उसके करोड़ो जन्मो के पुण्य कर्मो का फल और मालिक की विशेष दया है। पर जिन्हें नामदान के साथ, मालिक जब इस धरती पर आये, उनके साथ रहने का अवसर प्रात हो और मालिक की हमेशा से अपार दया रही हो, उनके बारे में क्या कहे वो सूरतें यो शायद मालिक के साथ ही सतलोक से आयी होंगी। और भइया आपको तो मालिक का बचपन से इतना प्यार मिला है। बचपन से मालिक के इतने प्रिय रहे हैं आप। आज भी मालिक के आदेश पर ही चल रहे हैं। जो मालिक के इतने प्रिय हों तो हमारे लिए प्रिय क्यों न होंगे । हम तो मालिक के चरणों की धूल भी सर माथे पर और आप को तो मालिक अपना बच्चा कहते थे। मालिक की ये विशेष दया ही है जो अपनी दया का पात्र बनाया । मुम्बई में बीते ये 4 दिन मेरे जीवन के सबसे विशेष दिनों में से एक हैं। एक अजनबी शहर में इतना प्यार मिला लगा ही नहीं जैसे कहीं अनजानी जगह पर आया हूँ। आपने हम बच्चों का इतना ख्याल रखा । वापस आने का मन ही नहीं कर रहा था, लौटते समय भी ऐसा लग रहा था कि फिर से आपके पास चले जाएं ।मालिक से साक्षात तो इतनी बातें करने का कभी अवसर नहीं मिला पर उन्होंने आपके माध्यम से अपनी जो दया भेजी है।उसे पुर्णतया तो आप और मालिक ही समझ सकते हैं लेकिन हमें भी इसका बहुत अहसास हुआ है। मालिक ने भी कहा है कि “ऐसो का संग करो की दुनिया को भूल जाओ, लाखो करोड़ो में कोई एक गुरु से प्रेम करता है, उनसे मिलते जुलते रहो, वो जोड़ देंगे, उत्साह पैदा कर देंगे, लगन लग जाएगी, सुनने वाले हैं उनके बीच पड़ गए तो काम जल्दी हो जायेगा। अच्छे साधक का साथ करते रहो, जगते रहो।”
आपका साथ पाकर ऐसा ही लगता है जैसे मालिक की अपार दया मिली हो। आपने लौकिक और पारलौकिक दोनों के जीने के, दोनों में सफलता हासिल करने के भेद को खोला है। मालिक की इस दया को और आपके प्रेम को शब्दों में कह पाना बहुत ही मुश्किल है, और कहा भी नहीं जा सकता। बस प्रार्थना एवं विनती है कि अपना साथ और प्यार ऐसे ही बनाये रखियेगा।
कोटि कोटि जयगुरुदेव मेरे प्यारे भइया , चरणस्पर्श।🙏
- आप भाग्यशाली हैं। मैं तो निकल के वापस आ गया। मैं जानता हूं कि अब आप की रूहानी खोज यहीं पूरी हो जाएगी। बड़े विनम्र और उदार हैं। आपको उनके आस पास साक्षात मालिक की उपस्थिति महसूस होगी। बड़ा पवित्र है उनका आभामण्डल मंडल। अदभुत और विराट। उनको मेरा प्रणाम और नमन सम्प्रेषित कीजिएगा।
अगर ये पूर्ण रूप से संगतों को संभालें तो सारे ढोंगी ग़ायब हो जायें। पर मेरा अनुभव है कि वो मालिक के निर्देश के बग़ैर कुछ न कहते हैं न करते हैं।जयगुरुदेव। - आप क़िस्मत वाले हो।
मैंने बाबा जयगुरुदेव को नहीं देखा पर सदगुरुश्री की आँखों से सदा उनका दीदार किया है। मेरे लिए तो मेरे सदगुरुश्री परमात्मा हैं।
जयगुरुदेव। - आपकी तक़दीर के तेज़ हो।भाग्यशाली भी हो।
- जय सदगुरुश्री।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 - जयगुरुदेव
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