तुम्हें अपने कर्मों का न बोध है न नियंत्रण। और तुम चाहते हो कि सब तुम्हारे हिसाब से हो।
क्यों हो?
दूसरों पर मन, वचन और काया से आक्रमण करके तुम बड़े नही छोटे हो रहे हो।
गुरु मन पढ़ कर तुम्हारे कर्मों का सच सामने रख दे तो तुम्हें पीड़ा होती है।
ग़ज़ब का पाखंड है तुम्हारा।
सुनो, आज गुरु है तुम्हारे…

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