तुम अपनी कारगुजरियों से भली भाँति वाक़िफ़ हो। पर तुम स्वयं को बदलने को तैयार ही नही हो।
तुम गुरु के मुख से गुरु की नही, सिर्फ़ वो बात सुनना चाहते हो, जो तुम्हें पसंद है।
इससे तो तुम्हारा कोई लाभ नही होगा, बल्कि हानि हो जाएगी।
अगर तुम सदगुरु के वचनों को अपने अंतर्मन में उतार लो तो तुम्हारा जीवन आमूलचूल रूप से बदल जाए।
-परम पूज्य सदगुरुश्री..