तुम कष्ट में इसलिये हो क्योंकि तुम्हे अपना, अपने स्व का, अपने प्रभु का, और उस नाद का बोध खो गया है, जो तुम्हारा आधार है। नाद और शब्द तुम्हारे अंदर हर पल उतरते ही रहते हैं।वो तुम्हारे पास खिंचे चले आते हैं, जैसे तुम उनके केंद्र में हो। पर तुम उन अन्दर के महाशब्दों को सुन नहीं पाते। क्योंकि तुम सुनने का प्रयास नहीं करते। कोशिश नहीं करते।
-Saddguru Shri..
- सतगुरु जय गुरुदेव कोटी कोटी प्रणम मेरे सतगुरु की चरणो मे 🌺🌺🌺👏👏
- सदगुरु श्री के पावन चरणों में सादर प्रणाम
- जय सदगुरुश्री भगवान
आपको कोटि कोटि प्रणाम।
🙏🏻🌸 - जयगुरुदेव
- जय सदगुरुश्री सरकार।
कोटि कोटि प्रणाम।