तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारी खबर बाहर से लूँ पर तुम नहीं जानते कि मैं तो तुम्हें अंदर से क्षण-क्षण देखता हूँ, हर पल निहारता हूँ।और तुम्हें अंतर में थामे हुआ हूँ।
अगर ऐसा न होता तो तुम्हारा कचूमर निकल जाता।
तुम स्वयं ही सोचो कि इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी तुम्हें कुछ कैसे नहीं हुआ।
तुम क्या जानो…

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