तुम सदगुरू की कितनी परीक्षा लोगे? कितना संदेह करोगे?
याद करो कि उसने तुमसे क्या लिया?
उसने तो तुम्हें अब तक सिर्फ़ दिया ही दिया है। सर्वस्व। उसने तो स्वयं को ही तुम्हें दे दिया। वह तो अनंत प्रेम की स्निग्ध और पवित्र धारा है। उसके प्रेम पर शंका करके नए ऋण का निर्माण मत करो। वरना इस क़र्ज़ के बोझ के तले दब जाओगे।
-Saddguru Shri..