दसवें द्वार के परे एकादश द्वार मानसरोवर में स्नान करके सुरत (आत्मा) जीवन मरण के फंदे से निर्मुक्त हो जाती है।
यही सच्ची एकादशी है।
इसे ही मोक्ष कहते हैं।
और मोक्ष को गुरु की दया लेकर जीते जी ही प्राप्त किया जा सकता है।
मरने के बाद कुछ नही मिलता।
-परम पूज्य सदगुरुश्री..


Leave a comment