ध्यान भजन में उतर कर जब आप अंतर्यात्रा में आगे बढ़ते हो तो नियमित अभ्यास से आपकी सुप्तऊर्जा जागृत होने लगती है। और आपके आंतरिक कान और आँख धीरे धीरे सक्रीय होने लगते हैं। पहले आप स्वयं को किसी बिना पानी वाले या सूखे दरिया में तैरते हुए पाते हैं। वो दरिया कभी कभी बादलों से बना प्रतीत होता है, तो कभी शीतल धूम्र से।
कभी आप ऊपर बहते हो, कभी नीचे।
जयगुरुदेव।
- jai guru dev
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- Jai guru dev
- Jaigurudev
- जय सदगुरुश्री🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻