पहले अपनी हर अनुभूतियों के रेशे रेशे को पका कर पक्के ज्ञान और अनुभव में तब्दील कर लो, जिसमें बेपनाह गहराई हो और बला की ऊँचाई हो। फिर गुरु की अनुमति से दुनिया को ज्ञान दो, बताओ, सिखाओ,नसीहत और उपदेश दो। वो भी समय पर या अपनी बारी आने पर ही। उससे पहले तो हरगिज़ नही।
तब आपकी हर सलाह,हर परामर्श हीरे की…
