पहले तो तुम्हें सदगुरु के वजूद पर संशय होता है। और तुम उनको व उनके संकेतों को नज़रअन्दाज़ करते हए मन के झाँसे में आकर फंस जाते हो। फिर उनसे बचाने की गुहार लगाते हो।पर तब तक तो बहुत देर हो चुकी होती है।
अगर तुम वक़्त रहते ही सदगुरु के इशारे को समझ लेते तो मुसीबत में न पड़ते। तुम्हारी ये गति तो हर्गिज़ न होती।
-सदगुरुश्री
- कोटी कोटी प्रणाम मेरे सतगुरु जय गुरुदेव 👏👏👏👏
- जयगुरुदेव
- जयगुरुदेव
- Jai gurudev
- Jai Gurudev