प्रभु, हनुमान के अन्दर ही नहीं, तुम्हारे भीतर भी हैं।
पर तुमने कभी ह्रदय में बैठे परमात्मा को पुकारा ही नहीं।
कभी तड़प कर किसी महबूब की तरह ख़ुद में बैठे ख़ुदा को आवाज़ दी ही नहीं।
वरना अपने अंतर्मन में विराजमान राम से तुम्हारा परिचय हो ही जाता।
यदि तुम ध्यान में उतर कर शिद्दत से राम की तलाश कर लो तो आज ही तुम्हारे भीतर असली हनुमान जयंती हो जाए।
हनुमान जयंती की ढेरों शुभकामनाएं।
जयगुरुदेव।
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- प्रणाम जयगुरूदेव
- जय गुरुदेव प्रणाम
- जय सदगुरुश्री परमात्मा।
जयगुरुदेव।
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