बिना हासिल किए किसी को कुछ भी देना संभव नही है।
जैसे तुम्हारे पास खुद के लिए पर्याप्त धन न हो,और लगे बाँटने, तो क़र्ज़ा हो जाएगा और दिवालिया हो जाओगे।
इसी प्रकार साधना में बिना कहीं पहुँचे, अनावश्यक सीख, नसीहत और प्रवचन सिर्फ़ ऐसी कोरी बकबक है जिससे किसी को कुछ प्राप्त तो नही होगा और तुम अनजाने में…
