मन की चालबाज़ियों से बचो।
मन तुम्हारे ध्यान को जगत व नष्ट होने वाले पदार्थो के चिन्तन में उलझाये रखता है।वो तुम्हे बरगला कर असली ख़ज़ाना पाने की राह में अड़चन डाल कर तुम्हें संसार के पत्थरों और धूल-मिट्टी में बहलाये रखता है।
वो तुम्हे उन चमकती धातुओ -पत्थरों में दौलत का झूठा अहसास कराता है जो तुम्हारे साथ जायेंगी नहीं क्योंकि वो तुम्हारी हैं ही नहीं।
-सदगुरुश्री



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  • Jay Gurudev
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