यह मृत्युलोक मण्डल है। समूची रचना का प्रत्यक्ष और परोक्ष मालिक प्रभु है, जो सच खण्ड में विराजता है। पर यह निचली रचना निरंजन पुरुष के अधीन है, जिन्हें ईश्वर, काल या समय कहा जाता है। पर निरंजन पुरुष भी अनादि काल से स्वयं उस प्रभु के भजन में ही लीन हैं जो सत्त हैं ,सार है, सबका आधार हैं। और वो मालिक…