ये मृत्युलोक आपका घर नही है। यहाँ से तो आपको एक दिन जाना पड़ेगा। आप जहां से आए हो, वो सच खंड है। वो सत्त का लोक है। आपका निज धाम है। ये नीचे के सारे मसाले, रस, रसायन सब आपके धाम से ही नीचे उतरे गए। आपका लोक बहुत विलक्षण है। नीचे के समस्त लोकों से अलहदा। नीचे की दिव्यता तो आपके लोक की धूल भी नही है।
यहाँ कब तक फँसे रहोगे?
सोचना ज़रूर।
-परम पूज्य सदगुरुश्री..