May 6, 2020सतयुग में आत्मा यानी सुरत की निरत सेतसुन्न में होती है। त्रेता में ये कमान तीन गुणों में आ जाती है। द्वापर में ये नियंत्रण अद्वैत से द्वैत में बँट जाता है। और कलयुग में ये डोर दसवीं गली यानी तीजे तिल पर बंध जाती है। -परम पूज्य सदगुरुश्री..