सदगुरु जब प्रसन्न होता है तो आप पर तीन मेहरबानियाँ करता है।
पहला आनन्द नहीं, बीमारी, बेचैनी।
दूसरा समृद्धि नहीं, गरीबी, तंगी।
और तीसरा प्रतिष्ठा नहीं, अपमान।
क्योंकि सदगुरु को इस जड़ जगत से कोई लगाव नहीं है। वो तो तुम्हारा लाखों जन्मों का लेनदेन, दर्द, कष्ट विकार सब एक जन्म में काटना चाहते हैं। सच्चे सदगुरु की पहचान का सही पैमाना यही है।
-सदगुरुश्री



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  • जयगुरुदेव
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