गुरु महाराज ने एक करोड़ लोगों को टाट पहनाया। टाट साधना का बाना है। यही बलकल वस्त्र है, जिसे पहन कर श्रीराम ने वनवास किया और श्रीकृष्ण ने तपस्या की। इसे पहनने के बाद मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार का सुरत पर असर न्यूनतम हो जाता है। न धोने की चिन्ता, न सफ़ाई का चक्कर। इसे धारण करके जीव स्वयं को क्षुद्र समझने लगता है। और क्षुद्र होकर विराट हो जाता है।
-परम पूज्य सदगुरुश्री..
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सवाल-जवाब : इन भावों में हो शन‍ि तो कराता है खूब लाभ, म‍िलती है इन व‍िशेष क्षेत्रों में अपार सफलता

सप्ताह का ज्ञान -यदि शनि कुंडली में तृतीय, षष्ठ और एकादश भाव में आसीन हों, तो शनि अपनी दशा में हानि नहीं लाभ का कारक ब…..

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