सिद्धिदात्री बाहर नहीं आपके भीतर विराजती है।
यह सहस्त्रार चक्र की उच्च ऊर्जा है। सिद्धिदात्री अपनी अष्टसिद्धियों, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्यप, ईशित्व और वशित्व की सहायता से हमें बंकनाल तक सदगुरु में मिलाकर इस निचली परत के ऊपर मोक्ष की ओर गति प्रदान करती है।
-सदगुरुश्री


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