स्थूल देह में सुरत यानी आत्मा दोनों आँखों के मध्य आज्ञा चक्र पर विराजमान है। आत्मा यहाँ से उतरकर छः दल के मृत्यु कँवल और अंतःकरण से होती हुई देह की समस्त इंद्रियों तक फैल जाती है।

-परम पूज्य सदगुरुश्री


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