जगत कीचड़ है तो क्या हुआ?
अगर बाहरी अनुभूतियों और क्रिया-कलापों को अस्वीकार कर दो और आंतरिक क्षमता और गुणों पर स्वयं को केन्द्रित कर लो तो तुम इस कीचड़ में भी कमल की तरह खिल सकते हो।
-सदगुरुश्री..
- Jaigurudev 🙏🙏
- जय सदगुरुश्री प्रभु।🙏🏻🙏🏻🙏🏻
- जय सदगुरुश्री
जयगुरुदेव - जय सदगुरुश्री परमात्मा।
आपको कोटि कोटि प्रणाम।
🙏🏻🌺🌹 - जय सदगुरुश्री भगवान।
लाखों प्रणाम।
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