जब तुम अंतर के शब्द से जुड़ोगे तब समूचा ब्रह्मांड परिधि बन जाएगा और तुम उसके मध्य में होगे, केंद्र में होगे। तुम अनुभव करोगे कि हर शय, हर धुन, हर आवाज़, हर शब्द तुम्हारी तरफ बह रहे हैं। जैसे तुम किसी विहंगम प्रपात की अखंड धुनों में स्नान कर रहे हो। तब तुम्हे तुम्हारा, तुम्हारी जीवात्मा का, अपनें सदगुरु का, प्रभु का वास्तविक बोध होगा।
-सदगुरुश्री
- Jaigurudev 🙏 🙏
- सदगुरु श्री के पावन चरणों में सादर प्रणाम
- जयगुरुदेव प्रणाम सद्गुरू दातार
- Jai gurudev
- 🙏🙏