।।जयगुरुदेव।।
जब तुम्हारे अंदर निवेदन का भाव होगा तब तुम सद्गुरु की दया का स्पष्ट साक्षात्कार कर सकोगे। तुम पारलौकिक ही क्यूँ, इस लोक में भी जब तुम किसी भी छोटी से छोटी सत्ता या संस्था से जुड़ना चाहते हो, कृपा चाहते, कुछ चाहते हो, या अधिकार या हक़ भी चाहते हो तो तुम हुक्म नहीं देते, दे ही नहीं सकते। गुज़ारिश करते हो, निवेदन करते हो, रिक्वेस्ट करते हो, एप्लीकेशन देते हो। ठीक वैसे ही अंतर में अनुरोध करो। जब तुम नियमित रूप ध्यान में अनुरोध करोगे, गुहार लगाओगे तो शनैः शनैः तुम्हारे कर्मों की परतें दरकने लगेंगी सरकने लगेंगी। सद्गुरु की नियमित दया से अरबों खरबों जन्मों के जन्मों के तुम्हारे कर्मों के जखीरे जलने लगेंगे। तब जाकर तुम स्वयं के अंदर सद्गुरु की वास्तविक हैसियत का अनुभव कर सकोगे। उसके पहले तो संभव ही नहीं है।
यदि तुम्हारा मन तुम्हे ध्यान में उतरने ना दे, साधना पर बैठने ना दे तो सद्गुरु को ह्रदय से पुकारो। आवाज़ दो। अपने पूर्व के अज्ञात कर्मो का पश्चाताप करो। धीरे धीरे कर्मों का कूड़ा कचरा साफ होने लगेगा और तुम अन्तर के शब्दों से रूबरू होने लगोगे। वो शब्द व प्रकाश प्रकट होने लगेंगे। तब तुम्हे सद्गुरु की दया का आभास होने लगेगा। जब भी ऐसा महान सुअवसर घटित हो तो तुम स्वयं को भाग्यशाली समझो और सद्गुरू को उसकी इस विशिष्ट कृपा के लिये कोटि कोटि धन्यवाद दो। अब तुम्हारी नींद टूटने की प्रथम प्रक्रिया आरम्भ हुई है।
प्रणाम।
जयगुरुदेव।
परम पूज्य सदगुरुश्री के मेलबर्न, आस्ट्रेलिया के सत्संग का एक छोटा सा अंश।
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- Jai guru Dev
- Jai Jai Jai Saddguru Shri Prabhu 🙏🌺💕
- Jaigurudev 🙏🙏🌺