क्या आप जानते हैं कि कौन हैं गणपति? कहाँ रहते हैं? क्या करते हैं?…

क्या आप जानते हैं कि कौन हैं गणपति? कहाँ रहते हैं? क्या करते हैं?
समस्त गणों यानी इंद्रियों के अधिपति हैं महागणाधिपति. आदि देव गणेश जल तत्व के प्रतीक हैं. विनायक कहीं बाहर नही हमारे भीतर, सिर्फ़ हमारे अंतर्मन मे ही विराजते हैं. हमारे मूलाधार चक्र पर ही उनका स्थाई आवास है. मूलाधार चक्र हमारे स्थूल शरीर का प्रथम चक्र माना जाता है. यही वो चक्र है, जिस पर यदि कोई जुम्बिश ना हो, जो यदि ना सक्रिय हुआ तो आज्ञान चक्र पर अपनी जीवात्मा का बोध मुमकिन नही है. ज्ञानी ध्यानी गणपति चक्र यानि मूलाधार चक्र के जागरण को ही कुण्डलिनी जागरण के नाम से पहचानते हैं. गणपति उपासना दरअसल स्व जागरण की एक तकनीकी प्रक्रिया है. ढोल नगाडो से जुदा और बाहरी क्रियाकलाप से इतर अपनी समस्त इंद्रियों पर नियंत्रण करके ध्यान के माध्यम से अपने अंदर ईश्वरीय तत्व का परिचय प्राप्त करना और मोक्ष प्राप्ति की अग्रसर होना ही वास्तविक गणेश पूजन है.

कालांतर में जब हमसे हमारा बोध खो गया, हम ध्यान-भजन से विमुख हो गए, भौतिकता में अंधे होकर उलटे कर्मों के ऋण जाल में फँस कर छटपटाने लगे,हमारे पूर्व कर्मों के फलों ने जब हमारे जीवन को अभाव ग्रस्त कर दिया, तब संतों ने हमें उसका समाधान दिया और हमें गणपति के कर्मकांडीय पूजन से परिचित कराया। महापुरुषों ने पूर्व के नकारात्मक कर्म जनित दुःख, दारिद्रय, अभाव व कष्टों से मुक्ति या इनसे संघर्ष हेतु शक्ति प्राप्त करने के लिए भाद्रपाद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से चतुर्दशी तक यानि दस दिनों तक अपने अंतर में मूलाधार से खींच कर आज्ञा चक्र पर गणपति को महसूस कर उन पर ध्यान केंद्रित कर उपासना यानी ध्यान भजन के द्वारा शब्दों की डोर थामने का निर्देश दिया।
जयगुरुदेव।

सदगुरुश्री के सत्संग से।

  • आपको गणेश चतुर्थी के पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
    ईश्वर आपके जीवन में यश-कीर्ति, सुख-समृद्धि और वैभव प्रदान करें।।
  • जय गुरुदेव प्रणाम सद्गुरुश्री सरकार 🙏🙏🌹🌹
  • 🙏
  • Jai Gurudev 🙏
  • Jaigurudev saddguru Shri 🙏🙏

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