Ilजयगुरुदेवll
अगर तुम उस केंद्र को खोज सको जहां से सब झंकारें प्रकट हो रही हैं तो अचानक चेतना पलट जाती है और एक क्षण के लिए तुम स्वयं को निर्ध्वनि से भरे गुंगे जगत को पाते हो, किसे तुम अब तक जी रहे थे पर बेकार.. व्यर्थ.. निरर्थक.. और दूसरे ही क्षण तुम्हारी चेतना भीतर की ओर मुड़ जाती है और तुम बस…