जब तुम तीसरे तिल पर पहुँचोगे, हतप्रभ रह जाओगे, स्तब्ध हो जाओगे। क्योंकि वहाँ जो अप्रतिम प्रकाश है, विलक्षण नूर है, वह गुरु के चरणों के अंगुष्ठ के नख से प्रस्फुटित हो रहा है। तब तुम रो पड़ोगे, सिसक पड़ोगे। क्योंकि तुमने अब तक गुरु को न जाना था, ना ही पहचाना था।
बग़ैर तीसरे तिल पर पहुँचे गुरु को…