जयगुरुदेव।
तुम जानते हो कि तुम जीवात्मा हो, परमात्मा का एक अंश। प्रभु का ही एक हिस्सा। तुम अनजान नहीं हो इस तथ्य से। जानते हो यह सब। तुम इन बातों को सुनते सुनते ही बड़े हुये। विकसित हुये। और शायद यही सुनते हुये मर भी जाओगे। पर सत्य का बोध तब भी न हो सकेगा तुम्हें। मृत्यु के बाद बचता ही क्या है, सिर्फ…