जयगुरूदेव।
आपकी हालत उस बहरे की तरह है, जो बोल तो सकता है, पर इसलिये बोल नहीं पाता क्योंकि उसका शब्द से परिचय नहीं है। वो जानता ही नहीं कि आवाज़ का मानी क्या है, स्वर से आशय क्या है, ध्वनि का अर्थ क्या है। अगर उसका परिचय ध्वनि से हो जाता तो वो भी गा लेता, गुनगुना लेता, बोल पड़ता, अपनें भावों को…