एक समर्थ गुरु तुम्हारी आंतरिक क्षमता को जगाकर तुम्हें बुद्ध और महावीर बना देता है। जैसे सूखे हुए रंगों में जब हम जल या तेल मिश्रित करते हैं तब रंग एक अनोखी कृति को रूप देने के लिए तैयार हो जाते हैं । अन्यथा उन सूखे हुए रंगों से चित्र बनाना नामुमकिन सा है। सदगुरु तुम्हारी प्रतिभा को रूपांतरित कर देता…

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