ईश्वर लोक में मस्त कर देने वाली घनघोर सुरीली अनहद ध्वनियों की दो धाराएँ हैं।
एक खनकता गुंजन है तो दूजा मीठा नाद।
एक धारा से किसी विशाल घण्टे की घेरती आवाज़ से निहं सी अलौकिक ध्वनि प्रस्फुटित होती है।
तो दूसरी धारा किसी शंखनाद सी मिठास लिए ऊपर चढ़ कर निहंहं सा नशीला स्वर प्रकट करती है।

इसी निहंहं के…

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