बात 2019 की मार्च के आख़िरी हफ़्ते की है। सदगुरुश्री 28 मार्च को दिल्ली होते हुए 29 मार्च की भोर में पश्चिम उत्तर प्रदेश पधारे। वो जिस प्रेमी परिवार के पास रुके थे उनकी धर्मपत्नी ने अपनी एक घनिष्ट सहेली के बारे में बताया। वो सहेली परिवार की मर्ज़ी के विरुद्ध शादी करना चाहती थी। तब सदगुरुश्री ने स्पष्ट मना कर दिया, कि यह शादी ठीक नहीं रहेगी।वो लड़की अपने पिता के साथ दर्शन करने भी आई। बाद में उसके प्रेमी ने भी अलग से दर्शन किया, और एक तरह से अलग-अलग तरीको से उस शादी के हो जाने के लिये आग्रह किया।पर सदगुरुश्री का फ़ैसला न बदला। वापस लौट कर मुंबई में भी सदगुरुश्री जी से बार-बार गुहार की गयी। पर उनकी ना हाँ में नही बदली। वहाँ मौजूद कई लोग इसके गवाह हैं, मैं स्वयं भी मेरे पति के साथ उस वक़्त वहीं थे। उस कन्या ने स्वयं सदगुरुश्री से पूछा कि शादी के बाद बुरे से बुरा आख़िर क्या हो जाएगा? सदगुरुश्री ने समझाया कि जो मैं देख रहा हूँ वो बहुत कष्टप्रद है। पर वो कन्या नही मानी। उसने बार-बार कहा कि मुझे तो सब ठीक लग रहा है।
पर बाद में लड़की के परिवार में भीषण नाटक हुआ। ऐसा प्रचंड ड्रामा कि लड़की को अपनी जान बचाने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी। और कुछ ऐसी दया हुई कि वो प्रेमी परिवार (सहेली को सदगुरु श्री जी से जोड़ने वाला सत्संगी परिवार) धीरे-धीरे उस कन्या के अजीबोग़रीब व्यवहार से आहत होकर दूर हो गया। यहाँ तक कि बातचीत भी बंद हो गयी। पर उस कन्या के पास सदगुरुश्री का नम्बर आ चुका था।
समय बीतता गया। और बाद में सदगुरुश्री के आदेश की अवहेलना करके उस कन्या ने इस लॉकडाउन में अपने प्रेमी से शादी कर ली।
शादी के बाद तो पूरा खेल पलट गया। विचित्र विचित्र परिस्थितियां निर्मित होने लगीं। यदि विस्तार से बताऊ तो आप सभी को पर्दे पर चल रही कोई फ़िल्म जैसी कहानी लगेगी।
अगस्त महीने की 7 तारीख़ को उस कन्या ने सदगुरुश्री को मध्यरात्रि को कई बार फ़ोन पर फ़ोन लगाया। सदगुरुश्री सामान्य रूप से रात्रि में फ़ोन पर बात नही करते। पर जब उन्हें बार बार किए जाने वाले कॉल के बारे में बताया गया तो उन्होंने फ़ोन उठा लिया। दूसरी तरफ़ उन्हें उसी कन्या की भयानक चित्कार सुनाई पड़ी। भयंकर रुदन में वो कुछ कह रही थी। पर हिचकियों के कारण बात समझ नही आ रही थी। कुछ देर बाद समझ आया कि उसके पति ने फाँसी लगा ली है। पर साँस चल रही थी।
अस्पताल में डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। कहा कि बहुत देर हो चुकी है। उसके शरीर के कई अंग काम नही कर रहे थे। उसका पति मृतप्रायः पड़ा हुआ था। परम पूज्य सदगुरुश्री उस दिन रात के एक बजे से सुबह नौ बजे तक भजन पर बैठे रह गए। उसके पति की साँस तो चल रही थी पर वो कोमा में था। वो कन्या दिन रात सदगुरुश्री से दया की भीख माँगती रही। और फिर दयालु की दया हो गयी। कुछ दिनों के बाद उसे होश आ गया। अब बहुत सुधार है। गुरु अनंत, गुरु कथा अनंता।
हमारे सदगुरुश्री इतने दयालु हैं कि वो अपनी बेअदबी करने वाले और अपनी अवहेलना करने वालों को भी माफ़ कर दिया करते हैं।
ऐसे दयालु महापुरुष को कोटि कोटि प्रणाम।
जयगुरुदेव।