इतने कठिन समय में भी आपको स्वयं से नही, दूसरों से शिकायत है!
इस कष्टकारी काल में भी आप पर क्रोध, ईर्ष्या, जलन, लोभ, अहंकार और निन्दा बुरी तरह हावी है।
यहाँ जगत विपत्ति से घिरा हुआ है और आप बेमतलब की कारस्तानियों में उलझे हुए हो?
कमाल करते हो।
स्वार्थी नही, परमार्थी बनो।

-परम पूज्य सदगुरुश्री..


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