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शक्ति लोक के ऊपर वज्र किवाड़ तक बिना कमाई के पहुँचना सम्भव नहीं है। जो कठिन साधना कर…

शक्ति लोक के ऊपर वज्र किवाड़ तक बिना कमाई के पहुँचना सम्भव नहीं है। जो कठिन साधना कर…

शक्ति लोक के ऊपर वज्र किवाड़ तक बिना कमाई के पहुँचना सम्भव नहीं है। जो कठिन साधना करके आत्मिक धन की कमाई कर वहाँ पहुँचा, वो वहाँ लुट ही जाएगा। बिना सदगुरु की मेहर और मौज के इसके परे जाना सम्भव नहीं है। जैसे समझो की कर्फ़्यू में बिना कर्फ़्यू पास के कोई नहीं जा…

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शक्ति लोक से ऊपर झंझरीद्वीप के अंतिम छोर पर अविद्या माया का जाल है। उसे ही संतों ने …

शक्ति लोक से ऊपर झंझरीद्वीप के अंतिम छोर पर अविद्या माया का जाल है। उसे ही संतों ने …

शक्ति लोक से ऊपर झंझरीद्वीप के अंतिम छोर पर अविद्या माया का जाल है। उसे ही संतों ने वज्र किवाड़ कहा है। उस फंदे से बाहर निकलना कठिन है। अविद्यामाया और उनके आदेश पर ऋद्धियाँ सिद्धियाँ वहाँ उन सुरतों को जिन्होंने नाम की कमाई की है और वहाँ तक पहुँचीं हैं, उन्हें अपने जाल में…

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ईश्वर ने अण्ड और पिण्ड यानी लिंग और स्थूल जगत रचकर उनके लिए आहार रचा।इंद्रियाँ और ऐं…

ईश्वर ने अण्ड और पिण्ड यानी लिंग और स्थूल जगत रचकर उनके लिए आहार रचा।इंद्रियाँ और ऐं…

ईश्वर ने अण्ड और पिण्ड यानी लिंग और स्थूल जगत रचकर उनके लिए आहार रचा।इंद्रियाँ और ऐंद्रिक सुख दुःख बनाए। साथ ही अच्छे-बुरे कर्म और उसके भोग निर्मित किए। और कर्मों का विधान बना कर सुरतों को बांध दिया। बेचारी सुरतें अच्छे-बुरे कर्मों में फँस गयीं। और मन व इंद्रियों के लिए दिन रात उलझ…

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ईश्वर जहां निवास करते हैं वो विशाल चमचमाता लोक है,

ईश्वर जहां निवास करते हैं वो विशाल चमचमाता लोक है,

ईश्वर जहां निवास करते हैं वो विशाल चमचमाता लोक है, जिसे सहसदल कँवल कहते हैं। बौद्धों का यही निर्वाण पद है, यही साकेत है, तुरीयपद है, वास्तविक अयोध्या है, कैवल्य पद है, ईश्वरीय चरण है। इसके ऊपरी मुहाने पर सुन्न शिखर है। वहाँ एक आकर्षक ज्योत में ईश्वर आसीन हैं, … More

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Every time I wake up,

Every time I wake up,

Lift you up. You are a little bit of a little bit You go to sleep again. To Cross you, I hold your hand, You leave your hand, You are lost in chaurasi. – the most respected gurudev..

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तुम स्वयं को सत्संगी तो कहते और समझते हो, पर क्या सच में सत्संगी हो?

तुम स्वयं को सत्संगी तो कहते और समझते हो, पर क्या सच में सत्संगी हो?

तुम स्वयं को सत्संगी तो कहते और समझते हो, पर क्या सच में सत्संगी हो? यदि तुम सत्संगी होते तो तुम्हारी ये दुर्गति न होती। अगर तुम सच्चे सत्संगी होते तो गुरु महाराज को यूँ लुप्त होने की ज़रूरत ही न होती। जो तुम सच्चे सत्संगी होते, तो गुरु महाराज की इस मौज की तुम्हें…

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