जब तुम तीसरे तिल पर पहुँचोगे, हतप्रभ रह जाओगे, स्तब्ध हो जाओगे। क्योंकि वहाँ जो अप्रतिम प्रकाश है, विलक्षण नूर है, वह गुरु के चरणों के अंगुष्ठ के नख से प्रस्फुटित हो रहा है। तब तुम रो पड़ोगे, सिसक पड़ोगे। क्योंकि तुमने अब तक गुरु को न जाना था, ना ही पहचाना था।बग़ैर तीसरे तिल…


navbharattimes.indiatimes.com सवाल जवाब: घर में दुर्गंध से ना सिर्फ आर्थिक कष्ट होता है बल्कि घटती हैं ये बुरी चीजेंसप्ताह का ज्ञान जिसकी हथेली का वर्ण लाल और त्वचा स्निग्ध होती है, उन्हें जीवन में सफलता आसानी से प्राप्त होती है। उ….

तुम्हारे चारों ओर जीवन मरण का घेरा है। जिसके भीतर जो तुम्हारी चेतना है वो न तो जन्म लेती है न मर सकती है।-Saddguru Shri..

Navbharat Times Mumbai Sunday 23rd February 2020http://epaper.navbharattimes.com/details/95925-74541-1.html

विष तुम्हें एक बार मारता है। विषय तुम्हें हर रोज़ मारता है, बार बार मारता है।

His Holiness Saddguru Shri in DelhiTuesday, 22nd February 2020.

तुम सदगुरू की कितनी परीक्षा लोगे? कितना संदेह करोगे?याद करो कि उसने तुमसे क्या लिया?उसने तो तुम्हें अब तक सिर्फ़ दिया ही दिया है। सर्वस्व। उसने तो स्वयं को ही तुम्हें दे दिया। वह तो अनंत प्रेम की स्निग्ध और पवित्र धारा है। उसके प्रेम पर शंका करके नए ऋण का निर्माण मत करो। वरना…

यदि तुम मेरे पास आते रहे, मुझसे बार बार मिलते रहे परंतु अपने अंदर ही नहीं उतरे, स्वयं के भीतर ही नहीं गए तो सब बेकार है।हाँ, तब तो एक बार पुनः तुम ग़लत जगह पर ही हो।-Saddguru Shri..

आध्यात्म का तुम्हारे भीतर उठते सवालों से कोई सरोकार है ही नहीं। प्रश्न और तर्क बुद्धि से पैदा होते है और बुद्धी तो मन, चित्त और अहंकार के साथ अंतःकरण का हिस्सा है। रूहानियत व आध्यात्म का रिश्ता तो प्रेम से है, समर्पण से है, भाव से है। बार बार उमड़ते सवाल सूचक हैं कि…

तुम गुरु को जो कुछ भी अर्पित करते हो वही तो अनंतों गुना पाते हो। सूक्ष्म दोगे, विशाल पहाड़ वापस मिलेगा। श्रद्धा दोगे, भक्ति बढ़ेगी। प्रेम दोगे, मुक्ति मिलेगी। धन-धान्य चढ़ाओगे, भौतिक आनन्द पाओगे। स्वयं को दोगे, निर्मुक्त हो जाओगे। संदेह दोगे तो शंका के मकड़-जाल में उलझ जाओगे, फलस्वरूप नए खाते का…More