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बेकार सामान शुभ फलों में कमी कर तनाव में करता है इजाफा, पढ़ें सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी का ज्ञान

बेकार सामान शुभ फलों में कमी कर तनाव में करता है इजाफा, पढ़ें सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी का ज्ञान

prabhatkhabar.com बेकार सामान शुभ फलों में कमी कर तनाव में करता है इजाफा, पढ़ें सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी का ज्ञानसद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर…

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महागौरी सहस्&…

महागौरी सहस्&…

महागौरी सहस्त्रार चक्र की मध्यशक्ति है, जो अभय मुद्रा, वर मुद्रा, डमरू और शूल से हमें महाध्वनि अर्थात् परम नाद यानी शब्द से जुड़ने व जोड़ने की प्रेरणा देती है।-सदगुरुश्री

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मेरी आँख खुली…

मेरी आँख खुली…

मेरी आँख खुली है या नहीं? मेरी पहुँच कहाँ तक है? मैं संत हूँ, साध हूँ या कौन हूँ? इसकी निरर्थक चिन्ता करने की जगह तुम अगर अपने अंतर्दृष्टि जागृत करने का उपक्रम करते, तुम अपने घर कब और कैसे पहुँचोगे इसकी फ़िक्र करते, मरने के बाद कहाँ जाओगे इसकी जानकारी हासिल करते और तुम…

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कालरात्रि सह&…

कालरात्रि सह&…

कालरात्रि सहस्त्रार चक्र की प्राथमिक शक्ति का नाम है। यह सहस्त्रार चक्र का निचला बल है, जो अपने शस्त्र कृपाण से हमारे बन्धनों को काट कर, काल (समय) जिन्हें इस जगत का ईश्वर भी कहा जाता है, की सहमति और कृपा प्रदान करके सुरत यानी आत्मा को इस स्थूल शरीर से परे जाने के लिए…

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कृष्ण तुम्हा&…

कृष्ण तुम्हा&…

कृष्ण तुम्हारे अंतर में विराजते हैं और कृष्ण का राजपाट व उनकी सेना बाहर।जब तुम अंतर में पुकारते हो तो तुम सदगुरु और प्रभु को प्राप्त कर लेते हो। और जब तुम बाहर से गुहार लगाते हो, शोर मचाते हो, तो उनके वैभव के पिपासु नज़र आते हो। अब तुम्हें कृष्ण चाहिए या कृष्ण की…

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Albumव्रत, पर्व, त्…

Albumव्रत, पर्व, त्…

Albumव्रत, पर्व, त्योहार, उपासनाआज्ञाचक्र की ऊर्जा कात्यायनी कहलाती है।कात्यायनी अपने अस्त्र तलवार की धार की तरह तीसरे तिल से आगे बढ़ कर झंझरी द्वीप से आगे निकल कर आत्मा को अपने तत्व शब्द को थाम कर अपनी परम चेतना सदगुरु यानी प्रभु में समाहित होने की प्रेरणा देती है।-सदगुरुश्री..·

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कूष्माण्डा अ&…

कूष्माण्डा अ&…

कूष्माण्डा अनाहत चक्र यानी ह्रदय चक्र पर गतिशील ऊर्जा का नाम है। इसके हाथ के शस्त्र, कमंडल, पुष्प,अमृत कलश, चक्र व गदा के साथ धनुष-बाण अनेक रास्तों से समस्त सिद्धियों और निधियों को समेट कर स्वयं को ऊपर की ओर एक लक्ष्य पर खींचकर अपने परम तत्व ने विलीन होने के लिए अग्रसर होने का…

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