Saddguru ShriYesterday at 2:03 AMजो स्वयं से नही दूसरों से रूठता है, अकड़ता, नाराज़ होता है, बाहरी जग…त और लोगों की गतिविधियों व हरकतों से प्रभावित होता है, वो नादान मन के वशीभूत है। इसका अर्थ है कि उसकी यात्रा की दिशा बाहर की ओर है। अब वो अपने भीतर कैसे जा सकेगा? बिना दिशा…


जो स्वयं से नही दूसरों से रूठता है, अकड़ता, नाराज़ होता है, बाहरी जगत और लोगों की गतिविधियों व हरकतों से प्रभावित होता है, वो नादान मन के वशीभूत है। इसका अर्थ है कि उसकी यात्रा की दिशा बाहर की ओर है। अब वो अपने भीतर कैसे जा सकेगा? बिना दिशा बदले वो अपने अंदर…

Saddguru ShriYesterday at 2:03 AMजो स्वयं से नही दूसरों से रूठता है, अकड़ता, नाराज़ होता है, बाहरी जग…त और लोगों की गतिविधियों व हरकतों से प्रभावित होता है, वो नादान मन के वशीभूत है। इसका अर्थ है कि उसकी यात्रा की दिशा बाहर की ओर है। अब वो अपने भीतर कैसे जा सकेगा? बिना दिशा…

इस आपत्ति काल में धरती पर चुपके से हो गया किसी दिव्य शक्ति का जन्म। …परम पूज्य सदगुरुश्री का चकित करने वाला संकेत https://www.google.co.in/…/mahaman…/amp/ See More धरती पर कल हो चुका है किसी महामानव का जन्म, ज्योतिष में 6 ग्रहों ने बनाए अद्भुत योगरविवार 13 सितंबर 2020 को भारतीय समयानुसार 10 बजकर 37 मिनट पर…

Saddguru ShriYesterday at 2:46 PMपंचभौतिक देह मिटने के बाद दैहिक जीवन में बने प्रियजन, प्रियतम व प्रि…य वस्तुओं के बिछोह के साथ अस्थायी शरीर की स्थिति प्रेत है। पंचभौतिक देह के त्याग के बाद रूह में देह नष्ट होने के बाद भी काम, क्रोध लोभ, मोह, अहंकार, तृष्णा औरक्षुधा शेष रह जाती है। सपिण्डन के…

Saddguru ShriYesterday at 2:46 PMपंचभौतिक देह मिटने के बाद दैहिक जीवन में बने प्रियजन, प्रियतम व प्रि…य वस्तुओं के बिछोह के साथ अस्थायी शरीर की स्थिति प्रेत है। पंचभौतिक देह के त्याग के बाद रूह में देह नष्ट होने के बाद भी काम, क्रोध लोभ, मोह, अहंकार, तृष्णा औरक्षुधा शेष रह जाती है। सपिण्डन के…

पंचभौतिक देह मिटने के बाद दैहिक जीवन में बने प्रियजन, प्रियतम व प्रिय वस्तुओं के बिछोह के साथ अस्थायी शरीर की स्थिति प्रेत है। पंचभौतिक देह के त्याग के बाद रूह में देह नष्ट होने के बाद भी काम, क्रोध लोभ, मोह, अहंकार, तृष्णा औरक्षुधा शेष रह जाती है। सपिण्डन के बाद पश्चात वो जब…


