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नकारात्मक विचार उस जंग की तरह हैं, जो लोहे के अंदर ही पैदा होते हैं और मजबूत लोहे को…

नकारात्मक विचार उस जंग की तरह हैं, जो लोहे के अंदर ही पैदा होते हैं और मजबूत लोहे को…

नकारात्मक विचार उस जंग की तरह हैं, जो लोहे के अंदर ही पैदा होते हैं और मजबूत लोहे को मिटा देते हैं। वो उलटे विचार उस खर पतवार की तरह हैं जो बहुत जल्दी फैल जाते हैं और कीमती फसलों को खा जाते हैं, बर्बाद करदेते हैं। नकारात्मक विचारोंको अपने अंदर, अपने अंतर्मन में बिल्कुल…

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वायरस को खत्म करने से ज्यादा जरूरी है उसके डर को पहले मारा जाए

वायरस को खत्म करने से ज्यादा जरूरी है उसके डर को पहले मारा जाए

navbharattimes.indiatimes.com वायरस को खत्म करने से ज्यादा जरूरी है उसके डर को पहले मारा जाएकिसी भी समस्या से अधिक क्षति समस्या के भय और उसके प्रति भ्रम से है। जो किसी धीमे जहर की तरह हमें धीरे-धीरे नष्ट करने ….

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स्थूल देह की पहुँच केवल मृत्युलोक तक ही है।

स्थूल देह की पहुँच केवल मृत्युलोक तक ही है।

स्थूल देह की पहुँच केवल मृत्युलोक तक ही है। इस देह से आप ऊपर के मंडलों में नहीं जा सकते। अण्ड देह यानी देवी-देवताओं का लिंग शरीर मृत्यलोक से झंझरी दीप तक, सूक्ष्म शरीर की पहुँच सहसदल के ऊपर तक, और कारण देह त्रिकुटी तक है। -परम पूज्य सदगुरुश्री..

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जयगुरूदेव।
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जयगुरूदेव। आ&…

जयगुरूदेव।आपकी हालत उस बहरे की तरह है, जो बोल तो सकता है, पर इसलिये बोल नहीं पाता क्योंकि उसका शब्द से परिचय नहीं है। वो जानता ही नहीं कि आवाज़ का मानी क्या है, स्वर से आशय क्या है, ध्वनि का अर्थ क्या है। अगर उसका परिचय ध्वनि से हो जाता तो वो भी गा…

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जयगुरुदेव।
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जयगुरुदेव। त&…

जयगुरुदेव।तुम जानते हो कि तुम जीवात्मा हो, परमात्मा का एक अंश। प्रभु का ही एक हिस्सा। तुम अनजान नहीं हो इस तथ्य से। जानते हो यह सब। तुम इन बातों को सुनते सुनते ही बड़े हुये। विकसित हुये। और शायद यही सुनते हुये मर भी जाओगे। पर सत्य का बोध तब भी न हो सकेगा…

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जयगुरुदेव।
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जयगुरुदेव।तुम जानते हो कि तुम जीवात्मा हो, परमात्मा का एक अंश। प्रभु का ही एक हिस्सा। तुम अनजान नहीं हो इस तथ्य से। जानते हो यह सब। तुम इन बातों को सुनते सुनते ही बड़े हुये। विकसित हुये। और शायद यही सुनते हुये मर भी जाओगे। पर सत्य का बोध तब भी न हो सकेगा…

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जयगुरुदेव।
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जयगुरुदेव।सदगुरु तुम पर पल पल दया कर रहा है। कृपा कर रहा है। पर तुम उसे अनुभव नहीं कर पाते। उसकी मेहर फ़िज़ाओं में बिखरी हुई है।तुम्हारे जीवन में चहुं ओर थिरक रही है। महसूस कर के तो देखो। तुम सदगुरु की कृपा को सिर्फ़ भौतिकता से जोड़ कर देखते हो, पदार्थ से जोड़ कर…

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जयगुरुदेव।
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जयगुरुदेव।सदगुरु तुम पर पल पल दया कर रहा है। कृपा कर रहा है। पर तुम उसे अनुभव नहीं कर पाते। उसकी मेहर फ़िज़ाओं में बिखरी हुई है।तुम्हारे जीवन में चहुं ओर थिरक रही है। महसूस कर के तो देखो। तुम सदगुरु की कृपा को सिर्फ़ भौतिकता से जोड़ कर देखते हो, पदार्थ से जोड़ कर…

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