द्वारिकाधीश की द्वारिका यानी ब्रह्म लोक को पार करना नामुमकिन सा है। …वहाँ इतना आकर्षण है, इतना खिंचाव है, जितना नीचे कहीं भी नहीं था। ब्रह्म का नियंत्रण जब कम होता है, माया सबल हो जाती है। जब माया से कोई जीव छूटता है, तो ब्रह्म उसे खींच लेते हैं।
-परम पूज्य सदगुरुश्री.. See More