पंचभौतिक देह मिटने के बाद दैहिक जीवन में बने प्रियजन, प्रियतम व प्रिय वस्तुओं के बिछोह के साथ अस्थायी शरीर की स्थिति प्रेत है। पंचभौतिक देह के त्याग के बाद रूह में देह नष्ट होने के बाद भी काम, क्रोध लोभ, मोह, अहंकार, तृष्णा औरक्षुधा शेष रह जाती है। सपिण्डन के बाद पश्चात वो जब अस्थायी प्रेत शरीर से नए तन में अवतरित होती है, पितृ कहलाती है।

-परम पूज्य सदगुरुश्री.. See More


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