Tag: more

तुम्हें अपने कर्मों का न बोध है न नियंत्रण। और तुम चाहते हो कि सब तुम्हारे हिसाब से …

तुम्हें अपने कर्मों का न बोध है न नियंत्रण। और तुम चाहते हो कि सब तुम्हारे हिसाब से …

तुम्हें अपने कर्मों का न बोध है न नियंत्रण। और तुम चाहते हो कि सब तुम्हारे हिसाब से हो। क्यों हो? दूसरों पर मन, वचन और काया से आक्रमण करके तुम बड़े नही छोटे हो रहे हो। गुरु मन पढ़ कर तुम्हारे कर्मों का सच सामने रख दे तो तुम्हें पीड़ा होती है। ग़ज़ब का…

Read More

सदगुरु वही कहेगा, जो सत्य है और तुम्हारे हित में है।

सदगुरु वही कहेगा, जो सत्य है और तुम्हारे हित में है।

सदगुरु वही कहेगा, जो सत्य है और तुम्हारे हित में है। एक बात समझ लो कि सदगुरु से बड़ा तुम्हारा हितैषी जगत में कोई भी नही है। अगर तुम्हें उसकी बात बुरी लगती है, तो लगती रहे। पर जो सच्चाई है, वो तो उसे बताना ही होगा। दर्पण को दोष मत दो,चेहरे से धूल साफ़…

Read More

अगर आप समझते हैं कि आपका भाग्य कोई ईश्वर लिखता है, जिसने आपका भाग्य खराब लिखा, दूसरे…

अगर आप समझते हैं कि आपका भाग्य कोई ईश्वर लिखता है, जिसने आपका भाग्य खराब लिखा, दूसरे…

अगर आप समझते हैं कि आपका भाग्य कोई ईश्वर लिखता है, जिसने आपका भाग्य खराब लिखा, दूसरे का अच्छा, तो ये सोच गलत है। आपके कष्टों के कारण आप हैं न कि ईश्वरीय सत्ता। अपनी तकदीर के मालिक आप हैं। आपके पिछले कर्म प्रारब्ध बनकर आज का भाग्य बन गए। और आज के कर्म कल…

Read More

आज तुम्हें अमोलक परमार्थी धन मुफ़्त में मिल रहा है तो तुम्हेंसदगुरु और उसकेबेशक़ीमती…

आज तुम्हें अमोलक परमार्थी धन मुफ़्त में मिल रहा है तो तुम्हेंसदगुरु और उसकेबेशक़ीमती…

आज तुम्हें अमोलक परमार्थी धन मुफ़्त में मिल रहा है तो तुम्हेंसदगुरु और उसकेबेशक़ीमती ख़ज़ाने की कद्र नही है।तुम उस पर संदेह करतेरहते हो। पर ध्यान रहे कि ये समय बदल जाएगा और यह दुर्लभ अवसरमुट्ठी की रेत की तरह फिसल जाएगा। बाद में चिल्लाते रहना। समय गुजरने के बाद किसी भी कीमत पर यह…

Read More

साधना के समय विचारशून्यता ज़रूरी है।

साधना के समय विचारशून्यता ज़रूरी है।

साधना के समय विचारशून्यता ज़रूरी है। जब तक अंदर खालीपन ना होगा, पात्रता विकसित न होगी। बाहरी दीवार नही, अंदर का खालीपन पात्रता है। आप जितना कम जानेंगे,पात्रता उतनी ही अधिक होती जाएगी। अधिक जानने का प्रयास आपको अपात्र बना देगा। अगर आपके भीतर भारी-भरकम ज्ञान-विज्ञान भर दिए जायें तो ये वैसा ही होगा… More

Read More

एक फकीर श्मशान में दो चिताओं को गौर से निहार रहा था। किसी ने पूछा कि बाबा क्या देख र…

एक फकीर श्मशान में दो चिताओं को गौर से निहार रहा था। किसी ने पूछा कि बाबा क्या देख र…

एक फकीर श्मशान में दो चिताओं को गौर से निहार रहा था। किसी ने पूछा कि बाबा क्या देख रहे हो। फ़क़ीर गंभीर होकर बोला कि दाहिनी चिता एक सेठ की है, जिसने जीवन भर महंगे से महंगे पदार्थ खाए। कीमती से कीमती वस्त्र और आभूषण पहने। बायीं चिता एक गरीब की है। जिसे जीवन…

Read More

आप जब किसी छोटी बड़ी यात्रा पर जाते हो, तो रेल या फ़्लाइट का टिकट, होटल और टैक्सी सब…

आप जब किसी छोटी बड़ी यात्रा पर जाते हो, तो रेल या फ़्लाइट का टिकट, होटल और टैक्सी सब…

आप जब किसी छोटी बड़ी यात्रा पर जाते हो, तो रेल या फ़्लाइट का टिकट, होटल और टैक्सी सब पहले से ही बुक करते हो। उसके बाद आप सामान पैक करते हो। तब सफ़र पर निकलते हो। पर एक दिन आपको जीवन भर की सारी दौलत, रिश्ते-नाते, मरासिम-अदावत के साथ अपनी देह तक सब कुछ…

Read More

गुरु महाराज की आज्ञा से सुरतों के कई राज़ खोल दिए गए।

गुरु महाराज की आज्ञा से सुरतों के कई राज़ खोल दिए गए।

गुरु महाराज की आज्ञा से सुरतों के कई राज़ खोल दिए गए। वो आदेश करें तो आज ही आपको सब कुछ बता दिया जाए। आपसे वादा है कि देह सिमटने तक हुज़ूर की आज्ञा से बहुत कुछ ज़ाहिर कर दूँगा। अगर आप गुरुमुखी हो जाएँ तो दिखा भी दूँगा। लेकिन ज़रा उन गद्दी-गद्दे पर बैठे…

Read More

एक समर्थ गुरु तुम्हारी आंतरिक क्षमता को जगाकर तुम्हें बुद्ध और महावीर बना देता है। ज…

एक समर्थ गुरु तुम्हारी आंतरिक क्षमता को जगाकर तुम्हें बुद्ध और महावीर बना देता है। ज…

एक समर्थ गुरु तुम्हारी आंतरिक क्षमता को जगाकर तुम्हें बुद्ध और महावीर बना देता है। जैसे सूखे हुए रंगों में जब हम जल या तेल मिश्रित करते हैं तब रंग एक अनोखी कृति को रूप देने के लिए तैयार हो जाते हैं । अन्यथा उन सूखे हुए रंगों से चित्र बनाना नामुमकिन सा है। सदगुरु…

Read More

नकारात्मक विचार उस जंग की तरह हैं, जो लोहे के अंदर ही पैदा होते हैं और मजबूत लोहे को…

नकारात्मक विचार उस जंग की तरह हैं, जो लोहे के अंदर ही पैदा होते हैं और मजबूत लोहे को…

नकारात्मक विचार उस जंग की तरह हैं, जो लोहे के अंदर ही पैदा होते हैं और मजबूत लोहे को मिटा देते हैं। वो उलटे विचार उस खर पतवार की तरह हैं जो बहुत जल्दी फैल जाते हैं और कीमती फसलों को खा जाते हैं, बर्बाद करदेते हैं। नकारात्मक विचारोंको अपने अंदर, अपने अंतर्मन में बिल्कुल…

Read More